पिता जी की डायरी से...
Friday, 7 September 2012
कहाँ मिलेगा प्यार ?
कहाँ मिलेगा प्यार ?
समय भयानक हो गया, चले गए सुबिचार.
जहर जन जन में घुसा, बदल गया व्यवहार .
नहीं आश कल्याण की, खुला मौत का द्वार.
चारो और अशांति है, कहाँ मिलेगा प्यार.
अवधेश कुमार तिवारी
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