जीवन
भरत मुनि के रस-सिद्धांत अथवा मम्मट द्वारा की गयी रसों की व्यवस्था-व्याख्या को हम जीवन के लिए बोझिल मानकर भले ही नकार दें, पर रस को जीवन से निष्कासित करके जीवन को पूरी तरह समझा नहीं जा सकता. रस और जीवन के सम्बंधों को समझने के लिए यह कतई आवश्यक नहीं है कि हम रसों की सैद्धांतिक व्याख्या से परिचित हों. रस वस्तुतः अनुभव करने की चीज़ है.
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